साँवरी सलोनी आँखों की उजली उजली चमक देखो
नाजुक गुलाबी होंठों पर खिलती हँसी की कली देखो
अबोले अस्फ़ुट शब्दों की कानो में घुलती मिश्री देखो
नाजुक-नाजुक गालों पर फ़ेलती ऊषा-किरण सी लाली देखो
मासूम से चेहरे पर बिखरती पूर्णिमा की चाँदनी देखो
मद्धम-मद्धम स्वासों में महकती फ़ुलवारी देखो
छोटे-छोटे हाँथों से बनती कुदरत की कारीगरी देखो
डगमग-डगमग कदमों में नदियों की सी चपलता देखो
स्नेह पवित्रता भर दे जीवन में
ऎसी हर बच्ची में अपने बिटिया की छवि देखो
नाजुक गुलाबी होंठों पर खिलती हँसी की कली देखो
अबोले अस्फ़ुट शब्दों की कानो में घुलती मिश्री देखो
नाजुक-नाजुक गालों पर फ़ेलती ऊषा-किरण सी लाली देखो
मासूम से चेहरे पर बिखरती पूर्णिमा की चाँदनी देखो
मद्धम-मद्धम स्वासों में महकती फ़ुलवारी देखो
छोटे-छोटे हाँथों से बनती कुदरत की कारीगरी देखो
डगमग-डगमग कदमों में नदियों की सी चपलता देखो
स्नेह पवित्रता भर दे जीवन में
ऎसी हर बच्ची में अपने बिटिया की छवि देखो
8 comments:
मद्धम-मद्धम स्वासों में महकती फ़ुलवारी देखो
bahut achchhi rachana.
khubasoorat hai jijiwisha.......sundar rachana
sunder....
बहुत सुन्दर रचना...
सुंदर भाव। अच्छी अभिव्यक्ति।
baat hai
shabdon me baat hai !
उत्तम भाव एवं रचना......बधाई.....
साभार
हमसफ़र यादों का.......
बहुत उम्दा, बहुत बढिया
अति उत्तम
हमारा हिन्दुस्तान
Post a Comment