Tuesday, June 16, 2009

बिटिया...

साँवरी सलोनी आँखों की उजली उजली चमक देखो
नाजुक गुलाबी होंठों पर खिलती हँसी की कली देखो
अबोले अस्फ़ुट शब्दों की कानो में घुलती मिश्री देखो
नाजुक-नाजुक गालों पर फ़ेलती ऊषा-किरण सी लाली देखो
मासूम से चेहरे पर बिखरती पूर्णिमा की चाँदनी देखो
मद्धम-मद्धम स्वासों में महकती फ़ुलवारी देखो
छोटे-छोटे हाँथों से बनती कुदरत की कारीगरी देखो
डगमग-डगमग कदमों में नदियों की सी चपलता देखो
स्नेह पवित्रता भर दे जीवन में
ऎसी हर बच्ची में अपने बिटिया की छवि देखो

8 comments:

M Verma said...

मद्धम-मद्धम स्वासों में महकती फ़ुलवारी देखो
bahut achchhi rachana.

ओम आर्य said...

khubasoorat hai jijiwisha.......sundar rachana

sujata said...

sunder....

Anonymous said...

बहुत सुन्दर रचना...

Ashok Pandey said...

सुंदर भाव। अच्‍छी अभिव्‍यक्ति।

Unknown said...

baat hai
shabdon me baat hai !

Anonymous said...

उत्तम भाव एवं रचना......बधाई.....

साभार
हमसफ़र यादों का.......

काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif said...

बहुत उम्दा, बहुत बढिया

अति उत्तम

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