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जिजीविषा...
Sunday, July 26, 2020
कारगिल दिवस पर चार लाइन...
उन कदमो की धूल भी सर माथे
जिन्होंने अर्पण कर दिए अपने प्राण
तिरंगे के सम्मान के वास्ते
Sunday, July 19, 2020
मोहब्बत...
हमारी मोहब्बत का तो
एक ही है उसूल
दिल तोड़ना गर है गुनाह
तो तेरा गुनाह भी है कबूल
मरहम...
यूँ ना छोड़ो
अपनों के जख्मों को
कि भर ही जायेंगे
समय से
नासूर ना बनने दो जख्मों को
बस
मरहम लगा दो
समय से
Saturday, July 18, 2020
बारिश जो मन को भिगा गई...
Friday, July 17, 2020
ठहराव...
माँ तुम सही थी...
नजरिया और समझदारी...
सुनसान सड़क साथी है खूबसूरत...
ससुराल का पहला मानसून...
चाहत...
चाहत एक गुलाब की मैं करती रही
तू सजाता रहा गुलदस्ता ख़्वाहिशों का मेरी
तेरी यही देरी हमें सालती रही
आज तू लाया है गुलदस्ता मैयत पर मेरी
अक्स...
इतनी भी नफरत ना करो किसी शख़्स से
कि जब आइना देखो
तो खुद को जुदा ना पायो
उसके ही अक्स से
शिकायत...
तू था शांत समुद्र सा
मैं थी बहती नदी सी
चाहत रही मुझमें
सदा
तेरी गहराई की
आज जब समाई हूँ तुझमे
तो क्यों करुँ शिकायत खारे पानी की
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