Friday, July 17, 2020

चाहत...

चाहत एक गुलाब की मैं करती रही 
तू सजाता रहा गुलदस्ता ख़्वाहिशों का मेरी 
तेरी यही देरी हमें सालती रही 
आज तू लाया है गुलदस्ता मैयत पर मेरी 

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