Saturday, August 1, 2020
Sunday, July 26, 2020
कारगिल दिवस पर चार लाइन...
उन कदमो की धूल भी सर माथे
जिन्होंने अर्पण कर दिए अपने प्राण
तिरंगे के सम्मान के वास्ते
जिन्होंने अर्पण कर दिए अपने प्राण
तिरंगे के सम्मान के वास्ते
Sunday, July 19, 2020
मरहम...
यूँ ना छोड़ो अपनों के जख्मों को
कि भर ही जायेंगे समय से
नासूर ना बनने दो जख्मों को
बस मरहम लगा दो समय से
कि भर ही जायेंगे समय से
नासूर ना बनने दो जख्मों को
बस मरहम लगा दो समय से
Saturday, July 18, 2020
Friday, July 17, 2020
चाहत...
चाहत एक गुलाब की मैं करती रही
तू सजाता रहा गुलदस्ता ख़्वाहिशों का मेरी
तेरी यही देरी हमें सालती रही
आज तू लाया है गुलदस्ता मैयत पर मेरी
शिकायत...
तू था शांत समुद्र सा
मैं थी बहती नदी सी
चाहत रही मुझमें
सदा तेरी गहराई की
आज जब समाई हूँ तुझमे
तो क्यों करुँ शिकायत खारे पानी की
मैं थी बहती नदी सी
चाहत रही मुझमें
सदा तेरी गहराई की
आज जब समाई हूँ तुझमे
तो क्यों करुँ शिकायत खारे पानी की
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