Thursday, July 12, 2007

लक्ष्मी....एक लघु कथा

राजा साहब बड़े दिल वाले माने जाते थे । उनके जैसा शानदार व्यक्तित्व पूरे शहर में ना था । घर सुख-सुविधाओं धन-धान्य से भरा-पूरा लक्ष्मी की कृपा का पात्र था । दो आज्ञाकारी सपूत थे । घर में सुशिक्षित-सुगड़ बहूऎं थी । राजा साहब कुरीतियों से दूर खुले मस्तिष्क के स्वामी माने जाते थे । अपनी हम उम्र के लोगों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने व अपने ज्ञान से लाभान्वित करने की खूबी भी उनमे थी । उनके मित्र रामनारायण के घर दूसरी बार भी पौत्री के आगमन की खबर सुनकर खुशी से झूमते हुए बधाई देने पहुँचे तो वहाँ के माहोल को देखते ही समझ गये की कन्या आगमन से रामनारायण खुश नहीं है । उसे समझाते हुए बोले कन्या तो लक्ष्मी का रूप है । लक्ष्मी तो खुशियाँ और समृद्धी लाती है । अब तो हर क्षेत्र में पुत्री पुत्रो से भी आगे है । जीवन के हर क्षेत्र में परिवार को गौरान्वित कर रही है । रामनारायण को बधाईयाँ देने के बाद घर पहुँचे तो अपने घर में आनंद का वातावरण पाया । श्रीमति जी ने बताया की बहुत ही जल्द राजा साहब दादा बनने वाले हैं । जल्दी ही शुभ घड़ी आ पहुँची और घर के आँगन में नन्हीं परी ने अपनी छोटी-छोटी आँखें खोली । हवेली में आनंदोत्सव हुआ । बधाई देने वालों का ताँता लग गया । अपने करीबी मित्रों से बधाई लेते समय राजा साहब कुछ उदास दिखे तो उनके मित्र रामनारायण ने कन्या आगमन के अवसर पर उन्हीं की कही बातें दोहरा दीं । लक्ष्मी घर आई है समृद्धी लायेगी । यकायक शांत स्वभाव वाले राजा साहब उत्तेजित हो बोले । मुझे ऎसी लक्ष्मी नहीं चाहिये जो लक्ष्मी को अपने साथ ले जाये । मुझे तो विष्णु चाहिये । विष्णु होंगे तो भविष्य में लक्ष्मी स्वत: ही चली आयेगीं । मित्र मंडली आवाक होकर एक रूढ़ीवादी और हिप्पोक्रेट व्यक्ति के चेहरे में राजा साहब को ढूँढने लगी ।

4 comments:

Satyendra Prasad Srivastava said...

अच्छी लघुकथा है। समाज के मौजूदा सच्चाई की परतें खोलती हुई कथा। राजा जी जैसे दोहरे चरित्र वाले लोगों से समाज को बहुत खतरा है।

Udan Tashtari said...

यही समाज के एक बड़े हिस्से की सच्चाई है. दूसरों को सीख देना सभी जानते हैं. असल पहचान तब होती है जब खुद पर गुजरे.

बढ़िया है, लिखते रहें.

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

यही हिप्पोक्रेसी तो हमारे भारतीय बुद्धिजीवियों की जान है. वैदिक युग से लेकर आज उत्तर आधुनिक काल तक हर तरफ यही दिखती है. ठीक लिखा है, इस क्रम को और आगे बढाएं.

shubhra gupta said...

सत्येंद्र जी, समीर जी, इष्ट देव जी,

आप सभी की टिप्पणी का हार्दिक धन्यवाद